गलत भक्ति से नास्तिकता आई
गलत भक्ति -: गलत भक्ति क्या है ?
जो व्यक्ति शास्त्र विधि को त्याग कर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है वह शास्त्र विरुद्ध भक्ति कहलाती है अर्थात वह भक्ति गलत भक्ति कहलाती है।
आज विश्व की 99 % आबादी शास्त्र विरूध गलत भक्ति करती है जिसके कारण संपूर्ण मानव समाज दुखी है सारी साधना करने के बाद भी किसी प्रकार का सुख नहीं मिलता है गलत भक्ति के कारण ही आज मनुष्य पतन की ओर जा रहा है आज तक जितने भी ऋषि महर्षि हुए सब की साधना शास्त्र विरुद्ध थी जिसके कारण उनको जीवन घोर कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और मोक्ष से वंचित रह गए इन ऋषि महर्षियोंने घोर तप किया सिद्धियां प्राप्त की और उनको यहीं पर लुटा कर चले गए क्योंकि गलत भक्ति से ही क्रोध भर जाता है जिसके कारण मनुष्य अपने जीवन में दुखी हो जाता है और भगवान से नास्तिक होता चला जाता है ।
नास्तिकता -: नास्तिकता कैसे आई
जब मनुष्य सभी देवताओं की पूजा और आराधना करते हुए भी दुखी रहता है तो उसके मन में अनेकों सवाल खड़े हो जाते हैं कि हम से ऐसी कौन सी गलती हुई है जिससे हम सभी पूजाएं करते हुए भी दुखी क्यों हैं जबकि कुछ लोग गलत कार्य करते हुए भी सुखी रहते है क्या भगवान हमारे भक्ति से खुश नहीं है क्या भगवान हमारे करम काट नहीं सकते जिसके कारण उसके विचारों में बदलाव आता है कि इस दुनिया में कोई भगवान नहीं है
मनुष्य अपने जीवन में गुरु भी बना लेता है लेकिन वहां भी उसको सुख नहीं मिलता है और एक के बाद एक गुरु बदलते चला जाता है लेकिन पूर्ण गुरु के नहीं मिलने के कारण उसे किसी प्रकार की कोई शांति नहीं और सुख नहीं मिलता है
संसार में बहुत से संत और महात्मा हुए उन्होंने अपने अपने मत के अनुसार भक्ति और साधना बताई लेकिन धीरे धीरे उनकी साधना और भक्ति सब सुख और शांति नहीं मिली तो धीरे-धीरे मनुष्य नास्तिकता की ओर बढ़ता चला गया
आज विश्व की 80% आबादी नास्तिक हो चुकी है किसी भी भगवान में विश्वास नहीं करती है यहां तक कि भगवान बुद्ध को मानने वाले आज पोर्ते नास्तिक हो चुके हैं क्योंकि भगवान बुद्ध ने जो साथ साधना चलाई वह बिल्कुल शास्त्र विरुद्ध थी जिसके कारण भगवान बुद्ध का जीवन घोर कठिनायों से भरा हुआ था आज चीन एक ऐसा उदाहरण है जो भगवान बुद्ध को मानता था और आज पूर्णतय नास्तिक हो चुका है
अब इस दुखी संसार में आस्था कहां लगाएं कि मनुष्य सुखी हो सके और पूर्ण मोक्ष मिल सके इसके लिए संत महात्माओं ने अपने अपने ज्ञान और भक्ति से भगवान पर विश्वास बढ़ाने कि मुहिम चलाकर बैठे है
भगवान के प्रति आस्था कैसे बने -:
आज मनुष्य सभी देवताओं की भक्ति करते हुए भी दुःखी है जिसका मूल कारण है शास्त्र विरुद्ध साधना क्या है वह शास्त्र अनुकूल साधना जिससे मनुष्य सुखी हो सके और पूर्ण मोक्ष प्राप्त कर सकें हमारे ही सद ग्रंथों मे शास्त्र अनुकूल साधना बताई गई है जिसके बारे में यह नकली संत महात्मा आज तक हमें नहीं बता सके शास्त्र अनुकूल साधना क्या है इसकी जानकारी श्रीमद्भागवत गीता बताया गया है जिसके बारे में किसी तत्व दर्शी संत से पूछना होगा और वह तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही है जिसके बताए अनुसार सत भक्ति करने से पूर्ण सुखी हो जाता है और मनुष्य को यह पूर्ण विश्वास होता है कि यह साधना सत्य है नास्तिकता के इस भयंकर दौर में संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई हुई सत साधना एक आशा की किरण लेकर आई है कि इस दुनिया में भगवान भी है और वह जो कुछ करता है अच्छा ही करता है वह परमात्मा पाप कर्म दंड काट देता है और मनुष्य को 100 वर्ष की आयु प्रदान करके पूर्ण मोक्ष दिलाता हैअब वह दिन दूर नहीं है जब संपूर्ण मानव जगत संत रामपाल जी महाराज की शरण में आकर सत भक्ति करेगा और पूर्ण मोक्ष प्राप्त करेगा सत भक्ति क्या है जानकारी के लिए आप देखें साधना टीवी चैनल हर रोज रात्रि 7:30 से 8:30
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