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Wednesday, 13 May 2020

गलत भक्ति से नास्तिकता आई

गलत भक्ति से नास्तिकता आई


गलत भक्ति -:  गलत भक्ति क्या है ?

जो व्यक्ति शास्त्र विधि को त्याग कर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है वह शास्त्र विरुद्ध भक्ति कहलाती है अर्थात वह भक्ति गलत भक्ति कहलाती है। 
आज विश्व की 99 % आबादी शास्त्र विरूध गलत भक्ति करती है जिसके कारण संपूर्ण मानव समाज दुखी है सारी साधना करने के बाद भी किसी प्रकार का सुख नहीं मिलता है गलत भक्ति के कारण ही आज मनुष्य पतन की ओर जा रहा है आज तक जितने भी ऋषि महर्षि हुए सब की साधना शास्त्र विरुद्ध थी जिसके कारण उनको जीवन घोर कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और मोक्ष से वंचित रह गए इन ऋषि महर्षियोंने घोर तप किया सिद्धियां प्राप्त की और उनको यहीं पर लुटा कर चले गए क्योंकि गलत भक्ति से ही क्रोध भर जाता है जिसके कारण मनुष्य अपने जीवन में दुखी हो जाता है और भगवान से नास्तिक होता चला जाता है ।





नास्तिकता -:  नास्तिकता कैसे आई

 जब मनुष्य सभी देवताओं की पूजा और आराधना करते हुए भी दुखी रहता है तो उसके मन में अनेकों सवाल खड़े हो जाते हैं कि हम से ऐसी कौन सी गलती हुई है जिससे हम सभी पूजाएं करते हुए भी दुखी क्यों हैं जबकि कुछ लोग गलत कार्य करते हुए भी सुखी रहते है  क्या भगवान हमारे भक्ति से खुश नहीं है क्या भगवान हमारे करम काट नहीं सकते जिसके कारण उसके विचारों में बदलाव आता है कि इस दुनिया में कोई भगवान नहीं है
मनुष्य अपने जीवन में गुरु भी बना लेता है लेकिन वहां भी उसको सुख नहीं मिलता है और एक के बाद एक गुरु बदलते चला जाता है लेकिन पूर्ण गुरु के नहीं मिलने के कारण उसे किसी प्रकार की कोई शांति नहीं और सुख नहीं मिलता है 
संसार में बहुत से संत और महात्मा हुए उन्होंने अपने अपने मत के अनुसार भक्ति और साधना बताई  लेकिन धीरे धीरे उनकी साधना और भक्ति सब सुख और शांति नहीं मिली तो धीरे-धीरे मनुष्य नास्तिकता की ओर बढ़ता चला गया

आज विश्व की 80% आबादी नास्तिक हो चुकी है  किसी भी भगवान में विश्वास नहीं करती है यहां तक कि भगवान बुद्ध को मानने वाले आज पोर्ते नास्तिक हो चुके हैं क्योंकि भगवान बुद्ध ने जो साथ साधना चलाई वह बिल्कुल शास्त्र विरुद्ध थी जिसके कारण भगवान बुद्ध का जीवन घोर कठिनायों से भरा हुआ था आज चीन एक ऐसा उदाहरण है जो भगवान बुद्ध को मानता था और आज पूर्णतय नास्तिक हो चुका है 
अब इस दुखी संसार में आस्था कहां लगाएं कि मनुष्य सुखी हो सके और पूर्ण मोक्ष मिल सके इसके  लिए  संत महात्माओं ने अपने अपने ज्ञान और भक्ति से भगवान पर विश्वास बढ़ाने कि मुहिम चलाकर बैठे है 
  




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