कबीर साहेब का मगहर से सतलोक गमन
कबीर साहेब द्वारा मगहर में लीला करना
कबीर साहिब आज से लगभग 600 साल पहले जन्म हुआ और वो 120 वर्ष इस दुनिया में रहे और दोहा और चौपाई यों के माध्यम से परमात्मा की सत भक्ति का ज्ञान पूरे संसार को दिया उनका जन्म अलौकिक था कबीर साहिब ने किसी मां से जन्म नहीं लिया वह काशी में लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर प्रकट हुए स शरीर इस दुनिया में आए और 120 वर्ष बाद स शरीर इस दुनिया से चले गए उनकी वाणी या सुनकर आज संसार का हर एक व्यक्ति भाव विभोर हो उठता है उनकी वाणीयों में इतना गहरा गूढ़ रहस्य छुपा हुआ है आम इंसान उनको समझ नहीं सकता है कबीर साहिब मगहर में स शरीर चले गए थे कबीर साहिब ने अपने शिष्यों को कहा कि अब हम आज अपने लोक में जाएंगे तब कबीर साहिब एक चादर ओढ़ कर लेट गए और शरीर के साथ वहां से चले गए तब उनके शिष्यों के बीच झगड़ा हो शुरू हो गया क्योंकि उनके सिर्फ हिंदू और मुसलमान दोनों धर्मों के थे हिंदू चाहते थे कि हम कबीर साहिब के शरीर को जलाएंगे और मुसलमान चाहते थे कि हम कबीर के शरीर को दफनाएंगे उसी समय आकाशवाणी हुई कि आप झगड़ा मत करो और चादर उठा कर देखो उसमें जो कुछ मिले आधी आधी बांट लेना तब उनके शिष्यों ने चादर उठाई और देखा तो शरीर की जगह फूल मिले और उन्होंने आधे आधे बांट लिए हिंदुओं ने आधे फूल जला दिए और मुसलमानों ने आधे फूल दफना दिए उनके आज भी मगहर में दोनो दीन ने दो यादगार बनवाई है जिनको आप आज भी देख सकते हैंउनकी इस जन्म और मृत्यु की लीला उस समय सभी हिंदू और मुसलमान दोनों ने आंखों से देखा था कबीर साहिब द्वारा अपने जीवन में अनेक प्रकार की लीलाएं की उनमें से मगहर में उन्होंने अनोखी और अलौकिक मृत्यु की लीला दिखाई वही कबीर साहिब पूर्ण परमात्मा थे जो सब की मालिक हैं सृष्टि के रचयिता कबीर साहिब हैं जिसका प्रमाण सभी धर्म के शास्त्रों में प्रमाणित है
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