Who is kaal
काल भगवान कौन है
Kaal Bhagwan kon h
Who is kaal
काल कौन है
अर्जुन को महाभारत के युद्ध में गीता का उपदेश भी काल ने ही दिया था यह श्री कृष्ण में प्रवेश करके बोल रहा था गीता के 11 अध्याय के 32 श्लोक में खुद कहता है कि मैं काल हूं और सब का विनाश करने के लिए अब प्रवृत्त हुआ हूं यह काल भगवान जब जब धर्म की हानि होती है पृथ्वी पर पाप बढ़ता है तब तब अवतार लेता है
काल की उत्पत्ति
सर्वप्रथम पूर्ण परमात्मा कुल के मालिक एक थे उन्होंने अपनी शब्द शक्ति से सर्वप्रथम 16 दीपों की उत्पत्ति करी फिर 16 शब्दों से 16 पुत्रों की उत्पत्ति की और एक मानसरोवर की रचना की परमात्मा ने अपने पुत्र अचिंत को सतलोक की संरचना करने की शक्ति प्रदान की तब अचिंत ने अपनी शब्द शक्ति से अक्षर पुरुष की उत्पत्ति की और कहा कि मेरी मदद करो तब अक्षर पुरुष मानसरोवर में स्नान करने गए और आनंद आया और वही सो गए लंबे समय तक बाहर नहीं आए तब अचिंत ने पूर्ण परमात्मा से अक्षर पुरुष को जगाने की प्रार्थना की पूर्ण परमात्मा ने उसी सरोवर के जल को लेकर एक अंडा बनाया उसमें एक आत्मा प्रवेश की और उसे मानसरोवर में छोड़ा अंडा अपनी गड़गड़ाहट से अक्षर पुरुष की निद्रा भंग हुई तब अक्षर पुरुष ने अंडे को क्रोध से देखा और अंडा दो भाग में फट गया उसने से ज्योति निरंजन निकला जो आगे चलकर काल कहलाया इसका वास्तविक नाम कैल है तब परमात्मा ने आकाशवाणी की कि आप दोनों बाहर आओ और अचिंत्य दीप में रहो परमात्मा की आज्ञा पाकर दोनों अचिंत के दीप में रहने लगे पूर्ण परमात्मा कबीर्देव ने सर्वे रचनाएं स्वम की
आत्माएं काल के जाल में कैसे फंसी
कॉल को श्राप क्यों लगा ?
श्री काल ने तप के बदले परमात्मा से कुछ आत्माएं मांगी परमात्मा ने कहा कि मैं अपनी आत्मा नहीं दूंगा अगर कोई आत्मा इच्छा से आपके साथ जाना चाहती है तो वह जा सकती है तब कुछ आत्माएं काल के साथ जाने के लिए परमात्मा को स्वीकृति देने लगी उनमें से जो सबसे पहले स्वीकृति दी थी परमात्मा ने उस आत्मा में सभी आत्माओं को प्रवेश करके काल के लोक में भेज दिया कि आप के पास शब्द की शक्ति से काल को जितने जी चाहे उत्पन्न कर देना
परमात्मा ने उस आत्मा को नारी रूप दिया था जो आदि शक्ति भवानी प्रकृति देवी मां दुर्गा शेरावाली के नाम से जानी जाती है लेकिन उस आत्मा को प्रजनन इंद्री नहीं लगाई थी
शब्द शक्ति प्रदान की थी कि आप जाओ और काल चाहे जितना जीव उत्पन्न कर देना शब्द से पर नारी रूप अति सुंदर देखकर काल ने उसके साथ गलत व्यवहार करना शुरू किया और अपने नाखून से चीर मारकर प्रजनन इंद्री बनाई और जबरदस्ती भोग विलास करने लगा तब उस आत्मा ने सूक्ष्म रूप बनाकर काल के मुख में से पेट में प्रवेश कर गया और परमात्मा से प्रार्थना की है परमात्मा मुझे बाहर निकालो तब परमात्मा वहां प्रकट हुए और उस आत्मा को पेट से बाहर निकाल कर श्राप दे दिया कि आज से आप एक लाख मनुष्य प्राणी का नित्य आहार करोगे और सवा लाख पैदा करे और ऐसा कहते हुए सतलोक से निष्कासित कर दिया जो 16 संख कोस दूर भेज दिया परमात्मा के
इसी कारण वह काल एक लाख मनुष्य प्रतिदिन पैदा करता है और सवा लाख खाता है वह अपने स्वार्थ के लिए हमें मनुष्य जन्म देता है अगर उसे मनुष्य खाने का शराब नहीं लगा होता तो वह हमें इंसान जन्म ने देकर गधा घोड़ा ही बना कर हम आत्माओं के साथ खेलता
काल भगवान एक लाख मनुष्य खाता है सवा लाख पैदा करता है
कैसा है काल भगवान
ब्रह्मा विष्णु महेश की उत्पत्ति?
उसके बाद कॉल और शेरावाली दुर्गा अष्टांग नी दोनों 21 ब्रह्मांड में सबसे ऊपर के लोक में रहने लगे रहने लगे तब काल के मन में यहइच्छा प्रकट हुई कि यहां पर कुछ सृष्टि रचना करनी चाहिए इसलिए काल ने अपनी पत्नी दुर्गा
अष्टांगनी के साथ पति पत्नी व्यवहार करते हुए तीन क्षेत्रों में 3 पुत्रों की ब्रह्मा विष्णु महेश को उत्पन्न किया और तीनों को उत्पत्ति सथीती और संहार का कार्य सौंप दिया आप गुप्त स्थान पर रहने लगेे और किसी को भी दर्शन नहीं देने की प्रतिज्ञा ली क्योंकि इसको एक लाख पानी निहार करने का श्राप लगा हुआ है यह अपने पुत्र ब्रह्मा विष्णु महेश और इंद्र आदि देवताओं को भी नहीं छोड़ता है उनको भी अपना ग्रास बना लेता है। इसलिए ब्रह्मा विष्णु महेश जी अजर अमर नहीं है
इसके प्रमाण के लिए देखे वीडियो
Image
अधिक जानकारी लिए इस लिंक पर क्लिक करें ⤵️
www.jagatgururampalji.org